याद (Yaad | Memory)

बैठे बैठे अचानक,

तुम्हारी याद आयी।

याद भी ऐसी,

कि जैसे तुम खुद आयीं।


कहना चाहता हूँ बहुत कुछ,

मगर कह ना पाऊँगा,

लिख कर दे सकता हूँ,

मगर लिख ना पाऊँगा।

बिना कहे ही,

शायद तुम समझ जाओगी,

ऐसे बिन बताए,

क़सम दो, फिर ना आओगी।


  • Shukla | 2020