बारिश (Baarish | Rain)

पहली बारिश की ख़ुशबू, काश भेज सकता,

यह भीगी हुई, सौंधी मिट्टी भेज सकता,

गिरती हुई बूँदों की, आहट भेज सकता,

इन्हें देखते हुए, काश तुम्हें देख सकता ।।


गहरे बादलों में लिपटी हुई, बिजली की गड़गड़ाहट,

और छत से टपकते हुए, पानी की खनक़ भेज सकता,

इन्हें देखते हुए, काश तुम्हें देख सकता ।।


चाय के पयाले से, उठती हुई भाप भेज सकता,

तेज हवा के झौंको की, यह थाप भेज सकता,

इन्हें देखते हुए, काश तुम्हें देख सकता ।।


क्या वहाँ भी, बारिश, ऐसी ही होती है?

पेड़ों पे पत्ते, यूं ही सरसराते हैं?

नर्म हवा से, सिहरन सी होती है?

क्या किसी की कमी, तुम्हें भी महसूस होती है?


काश इन पलों की, मासूमियत भेज सकता,

इस कविता को पढ़ते हुए, तुम्हें देख सकता ।।


  • Shukla | 2020