कद्र (Kadr | Appreciate)

इक नयी शाम, पर वही पुरानी फ़िक्र,

जो है नहीं, फिर उसी का ज़िक्र।


क्यों ना आज हम, कुछ नया करें,

जो पास है, उस की कद्र करें।


पुराने रिश्ते, गुजरे हुए कल की दास्तान हैं,

जो हैं साथ हमारे, वही आने वाले कल की बुनियाद हैं।


चलो मिलजुल कर, आज का जश्न करें,

जो पास है, उस की कद्र करें।।


  • Shukla | 2020