उम्मीद (Ummeed | Hope)
तुम कहते हो,
कि उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।
मैं कहता हूँ,
कि उम्मीद तुम पर क़ायम है।
उम्मीद ने पूछा,
मेरे बिना इनकी प्रतीक्षा ही क्यों ?
मैंने कहा,
इनके बिना तुम्हारी समीक्षा ही क्या ?
तुम मिलोगे, या नहीं,
यह तो पता नहीं।
पर तुम्हारी उम्मीद ज़रूर है
बिसरी हुई यहीं कहीं।
इन बिखरी हुई यादों के लमहों,
से ही दरारें जुड़ी हुई हैं।
और ज़िंदगी के चैन से,
गुज़र जाने की उम्मीद क़ायम है।।
Shukla | 2020